ईमानदार का इनाम । Moral Story In Hindi । Moral Story

ईमानदार का इनाम 


Hi guy's मेरा नाम हैं 'विशाल आमले'. आज हम देखेंगे एक ईमानदार की कहानी इसमें हम ये देखेंगे की केसे एक ईमानदार अपनी
ईमानदारी कैसे निभाता हैं और उसको इसका क्या इनाम मिलता हैं. इसके लिए आप को ये कहानी पूरी पड़नी होगी.

ईमानदारी का इनाम

एक गांव में बाबूलाल नाम का एक पेंटर रहता था वो बोहोत ईमानदार था लेकिन बोहोत गरीब होने के कारण उसे घर घर जाकर पेंट करना पड़ता था.

उसकी आमधनी भी बोहोत कम थी इसीलिए बोहोत ही मुश्किल से उसका घर चलता था पूरा दिन मेहनत करने के बाद भी वो सिर्फ दो वक्त की रोटी ही जुटा पाता था. वो हमेशा चाहता था की उसे कोई बड़ा काम मिले.

जिससे उसकी आमदनी अच्छी हो पर वो छोटे छोटे काम भी बडे लगन और ईमानदारी से करता था. एक दिन उसे गांव के जमीनदार
 ने बुलाया और कहा.


जमीनदार बोला : सुनो बाबूलाल मेने तुम्हे यहा एक बोहोत जरूरी काम के लिए बुलाया हैं क्या तुम वो काम करोगे ?

बाबूलाल बोला : जी हुजूर जरूर करूंगा बताइए क्या काम हैं ? 

जमीनदार बोला : में चाहता हु की तुम मेरी नाव पेंट करो और ये काम आज ही हो जाना चाहिए.

बाबूलाल बोला : जी हुजूर ये काम में आज ही कर दूंगा.

नाव पेंट करने का काम पाकर बाबूलाल बोहोत खुश हुआ 

जमीनदार बोला : अरे वो सब तो ठीक हैं लेकिन तुम पहले ये तो बताओ की तुम इस काम के पैसे कितने लोगे.

 बाबूलाल बोला : वैसे तो इस काम के 3,000 रुपए लगते हैं बाकी आप को जो पसंद हैं से देना.

जमीनदार बोला : हां ठीक हैं तुम्हे 3,000 मिल जाएंगे पर काम अच्छा होना चाहिए.

बाबूलाल बोला : जी हुजूर आप चिंता मत कीजिए आप का काम बड़े ही अच्छे से हो जाएगा.

जमीनदार उसे अपनी नाव दिखाने नदी के किनारे लेकर जाता हैं. नाव देखने के बाद बाबूलाल जमीनदार से थोड़ा समय मांगता हैं और अपने पेंट लेने चला जाता हैं. सामान लेकर जैसे ही बाबूलाल आता हैं वो जल्दी से नाव को रंगाना शुरू कर देता हैं.

जब बाबूलाल नाव रंगा रहा था तभी उसने देखा और कहा अरे नाव में तो छेद हैं अगर मैं इसे ऐसे ही पेंट कर दूंगा तो नाव डूब जाएगी पहले इस छेद को ही भर देता हु ऐसा कहकर उसने इस छेद को भर दिया.

और पूरी नाव को पेंट कर दिया फिर वो जमीनदार के पास जाता हैं और कहता हैं.


बाबूलाल बोला : हुजूर नाव का काम पूरा हो गया आप चल कर देख लिजिए.

जमीनदार बोला : ठीक हैं चलो.

फिर वो दोनो नदी के किनारे पोहंच जाते हैं नाव को देखकर जमीनदार बोला की,

जमीनदार बोला : अरे वा बाबूलाल तुमने तो बोहोत अच्छा काम किया हैं ऐसा करो तुम कल सुबह आकर अपना पैसा ले जाना.

बाबूलाल बोला : ठीक हैं हुजूर.

और फिर वो दोनो अपने अपने घर चले जाते हैं. जमीनदार के घर वाले अगले ही दिन नाव में बैठ कर नदी के उस पार घूमने जाते हैं. शाम को जमीनदार का नौकर रामू जो उसके नाव की देखरेख भी करता था वो छुट्टी से वापस आ जाता हैं.

और परिवार वालों को घर में ना देखकर उनके बारे में पूछता हैं. तभी जमीनदार उसे सारी बात बताता हैं जमीनदार की बात सुनकर रामू चिंता में पड़ जाता हैं. उसे चिंतित देख कर जमीनदार पूछता हैं.


जमीनदार बोला : क्या हुआ रामू ये बात सुनकर तुम चिंतित क्यों हो गए.

रामू बोला : लेकिन सरकार उस नाव में तो छेद था.

रामू की ये बात सुनकर जमीनदार भी चिंतित हो जाता हैं. तभी उसके परिवार वाले पूरा दिन मोज मस्ती करके वापस आ जाते हैं उने ठीक देखकर जमीनदार चेन की सांस लेता हैं.

फिर अगले दिन ही जमीनदार बाबूलाल को बुलाता हैं और कहता हैं.

जमीनदार बोला : ये लो बाबूलाल तुम्हारे काम के पैसे तुमने बोहोत बढ़िया काम किया है में तुम्हारे काम से बोहोत खुश हु.

बाबूलाल पैसे लेकर गिनता हैं तो वो हैरान हो जाता हैं क्योंकि वो पैसे ज्यादा थे तभी वो जमीनदार से कहता हैं ?

बाबूलाल बोला : हुजूर आपने मुझे गलती से ज्यादा पैसे दे दिए हैं ?

जमीनदार बोला : नही बाबूलाल ये पैसे मेने तुम्हे गलती से नही दिए बल्कि ये तुम्हारी मेहनत का ही पैसा हैं.

बाबूलाल बोला : लेकिन हुजूर हमारे बीच तो सिर्फ 3,000 की बात हुई थी ये तो 8,000 हजार हैं , तो फिर ये मेरी मेहनत का कैसे हुआ ?

जमीनदार बोला : क्योंकि तुमने एक बोहोत बड़ा काम किया हैं बाबूलाल.

बाबूलाल बोला : कैसा काम हुजूर.

जमीनदार बोला : तुमने इस नाव के छेद को भर दिया जिसके बारे में मुझे पता भी नही था. अगर तुम चाहते तो उसे ऐसे भी छोड़ सकते थे याफिर उसके लिए ज्यादा पैसे भी मांग सकते थे. पर तुमने ऐसा बिल्कुल भी नही किया जिसकी वजह से मेरे परिवार वाले सुरक्षित उस नाव से सवारी कर पाए. अगर तुम उस छेद को ना भरते तो मेरे परिवार वाले डूब भी सकते थे लेकिन आज सिर्फ तुम्हारी वजह से ही वो लोग सुरक्षित हैं इसीलिए ये पैसे तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी के हैं.

बाबूलाल बोला : पर हुजूर फिर भी छेद को भरने के इतने पैसे नहीं बनते.

जमीनदार बोला : बस बाबूलाल बस अब तुम कुछ मत कहो ये पैसे तुम्हारे ही हैं तुम इसे रख लो.

जमीनदार की बात सुनकर और पैसे लेकर बाबूलाल बोहोत खुश हुआ और कहने लगा बोहोत बोहोत धन्यवाद जमीनदार साहब ऐसा कहकर वो खुशी खुशी वहा से चला गया. 


दोस्तों इस कहानी से हमने क्या सीखा

हमे अपना कोई भी काम पूरी लगन और ईमानदारी से करना चाहिए 

हमे अपनी मेहनत और लगन चालू रखनी चाहिए क्योंकि वो एक ना एक दिन लोगों को पता चलती हैं .

दोस्तों अगर कहानी अच्छी लगी तो मेरे इस motivation speech को follow करो और अपने दोस्तों मैं ये कहानी share करो । Thanks you so much । जय हिन्द ।